सीधी-सिंगरौली जिले के बहुचर्चित घोटाले को लेकर एक बार फिर जांच शुरू हो गई है। इस बार आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो भोपाल के निर्देश पर रीवा पुलिस अधीक्षक द्वारा शिकायत से संबंधित दस्तावेजों के खंगालने का काम शुरू कर दिया गया है।
गौरतलब है कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक सीधी अंतर्गत सिंगरौली जिले में संचालित मोरवा शाखा में पदस्थ रहे शाखा प्रबंधक नागेन्द्र सिंह द्वारा शराब ठेकेदारों से सांठगांठ कर फर्जी तरीके से करीब 11 करोड़ रूपए की बैंक गारंटी जारी की थीं, जिसकी जानकारी मिलने पर रीवा के अधिवक्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट बीके माला द्वारा पूरे मामले का भंडाफोड़ किया गया था। इस मामले के खुलासे के बाद सीधी, सिंगरौली, रीवा के साथ-साथ भोपाल तक कोहराम मच गया था, जिसके बाद शाखा प्रबंधक नागेन्द्र सिंह को तत्काल निलंबित कर जांच शुरू कर दी गई थी लेकिन इतने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद भी जांच को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। जिसको लेकर ईओडब्ल्यू ने अब जांच का शिकंजा कसा है।
इस मामले की जांच को लेकर अड़े रहे अधिवक्ता बीके माला ने कमिश्नर रीवा एवं सीधी, सिंगरौली कलेक्टर की जांच से संतुष्ट नहीं होने पर मामले को उच्च न्यायालय में पेश किया था जहां से जांच से रीवा कमिश्नर, रीवा, सीधी एवं सिंगरौली कलेक्टर एवं संभागीय आयुक्त आबकरी रीवा को नोटिस भेजी गई है।
शिकायतकर्ता श्री माला ने बताया कि इस मामले को लेकर मेरी शिकायत पर आर्थिक अपराध अन्वेषण विभाग रीवा, मध्य प्रदेश पुलिस महानिदेशक आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो मध्य प्रदेश भोपाल द्वारा पुलिस अधीक्षक रीवा को पत्र जारी कर जांच के निर्देश दिए गए हैं। इसके पहले इसकी जांच कमिश्नर रीवा कर रहे थे रीवा कमिश्नर एवं कलेक्टर की जांच से संतुष्ट नहीं होने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। शिकायतकर्ता का आरोप है कि आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो भोपाल को समय पर जांच ना करना तथा संबंधित विभाग के अधिकारी कर्मचारी फर्जी बैंक गारंटी के संबंध में लाइसेंस धारी को तथा संबंधितों को बचाने का काम किया जा रहा है, जिसके बाद अब फिर एक बार जांच शुरू कर दी गई है।
क्या है पूरा मामला
जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक सीधी अंतर्गत सिंगरौली जिले की बैंक शाखा मोरवा में पदस्थ रहे शाखा प्रबंधक नागेन्द्र सिंह ने रीवा एवं सतना जिले के आबकारी ठेकेदारों से सांठगांठ कर अपने बैंक से 11 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी जारी की थी, जिसकी जानकारी मिलने पर श्री माला ने मामले का भंडाफोड़ किया था। इस मामले में दोषी शाखा प्रबंधक को निलंबित कर दिया गया लेकिन लाइसेंस धारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इतना ही इस मामले के मुख्य दोषी नागेंद्र सिंह को सिर्फ खानापूर्ति के लिए निलंबित किया गया, जबकि उनकी सेवा समाप्त कर आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया जाना चाहिए। हालांकि अब एक बार फिर जांच शुरू हो जानें से यह उम्मीद जगी है कि निश्चित तौर पर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी।
इन समूहों के नाम बनी थी फर्जी बैंक गारंटी
शिकायतकर्ता अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला के अनुसार जिला सहकारी बैंक मोरवा द्वारा जिन शराब दुकान के समूहों को बैंक गारंटी दी गई थी उसमें 8 समूहों का नाम शामिल है। दी गई जानकारी के अनुसार बैकुंठपुर को 1 करोड़ 45 लाख 55 हजार, लौर समूह को 1 करोड़ 6 लाख 97 हजार,नईगढ़ी समूह के नाम 9 लाख 3 हजार तथा हनुमना समूह के लिए 1 करोड़ 27 लाख 77 हजार रूपये की बैैंक गारंटी तैयार की गई है। इसी तरह इटौरा समूह को 1 करोड़ 56 लाख 37 हजार, रायपुर कर्चुलियान समूह को 78 लाख 10 हजार तथा समान नाका समूह रीवा को 2 करोड़ 45 लाख एवं रेल्वे स्टेशन समूह सतना को 2 करोड़ 23 लाख की बैंक गारंटी जिला सहकारी बैंक सीधी के मोरवा शाखा द्वारा दी गई है। बैंक गारंटी जारी करने के एवज में बैंक के पास रखी गई सम्पत्ति का व्यौरा बैंक द्वारा नहीं दिया जा रहा है।
इधर सगे भाई को सौंप दी उसी बैंक की कमान
तत्कालीन बैंक के प्रभारी सीईओ रहें चंद्रशेखर पाण्डेय ने अपनी कुर्सी खिसकते देख बड़ा खेल कर दिया है। उन्होने ऐसे बैंक कर्मी को मोरवा शाखा की कमान सौंपी है जिसके सगे भाई नागेन्द्र सिंह ने अपनी पदस्थापना के दौरान इसी शाखा से 11 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी जारी की थी। अब उसी बैंक शाखा का प्रबंधक दान बहादुर सिंह को बनाया गया है, जबकि इनके खिलाफ पूर्व में भी खयानत के मामले दर्ज हैं। बाबजूद इसके बैंक के प्रभारी सीईओ रहें चंद्रशेखर पाण्डेय ने गुपचुप तरीके से 12 सितंबर को दान बहादुर सिंह को शाखा प्रबंधक मोरवा का आदेश जारी किया गया है।